Tuesday, July 06, 2010

Poetry {7/July/2010} : रात शबनम हो गई

रात थी धुली हुई, आसमां पे सो गई।

चादंनी भी ना दिखी, बादलों में खो गई।

हम आवारा से यूं ही, ढूंढा करते बारिशें।

कि तभी आवाज़ आई, रुक रात शबनम हो गई।

No comments: