Saturday, March 31, 2007

अर्णव हूँ

स्वर्ण सिन्धु हूँ, अर्णव हूँ

विधुत वेग सा लहराऊँ ।

जो सोचूँ, लिख देता हूँ

भावना और् कैसे मैं समझाऊँ ।