Thursday, September 23, 2010

Poetry {23/Sep/2010} - III : भगाती है मुहब्बत

अर्ज़ किया है

" जब तक सुरूर ना चढ़े,
बस तब तल्क पकाती है |
एक बार मुहब्बत हुई ना,
तो फिर दर दर भगाती है |"
~=ABK=~

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